Tuesday 14 May 2019
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सामयिक मुद्दे व् समाधान
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@ लोहा गर्म होने पर ही हथौड़ा चलाना पड़ता है।
तब कहीं औजार बनता है
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समाज में प्रचलित चीकट प्रथा ।
ओर पता न छोर
कब शुरू हुई ,मालूम नहीं ।
क्यों शुरू हुई, मालूम नहीं ।
कब तक चलेगी, मालूम नहीं ।
समाज में सब समझदार
लेकिन , अच्छी या बुरी प्रथा का कोई नहीं कर रहा प्रतिकार ।
आखिर क्यों हम सब निभाते आ रहे है , चीकट प्रथा को ।
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चीकट का वर्तमान स्वरूप
जिस घर में विवाह हो रहा हो उस परिवार के मुखिया को
रिश्तेदारों,दोस्तों, सम्बन्धियों द्वारा वस्त्र, नगद आदि के रूप में कुछ भेंट ।
फिर उस परिवार द्वारा ,सम्बन्धितों/ उपस्थितों को कुछ ऐसी ही सामग्री की वापसी।
कुलः मिलाकर आपसी लेनदेन/ व्यवहार
एक बहाना की किसी के घर खाली हाथ कैसे जायेंगे।।
बस यही एकमात्र कारण है चीकट का।
बेशक विवाह समारोह में शामिल होंना है तो विवाह वाले घर से जुडे खास लोगो को वस्त्र आदि। भेंट ठीक है लेकिन ज्यादातर मौकों पर सभी के लिए कुछ न कुछ भेंट। के कारण
समारोह में कई अव्यवस्थाएं होती है।
जैसे
1 घर के लोगो का 1,2 घण्टे का महत्वपूर्ण। समय चीकट लेन देन में बर्बाद हो जाना ।
2 यथाशक्ति भेंट देने में कभी कभी कामचलाऊ अनुपयोगी भेंट सामग्री मिलना जो कभी उपयोग नहीं हो पाती।
3 भूलवश जिसके द्वारा सामग्री दी गई वही उन्हें वापस हो जाना।
4 अच्छा करने की लाख कोशिश के बावजूद , खास लोगो का नाराज होना।
5 गैरजरूरी होने के बावजूद भी भेंट स्वीकार करने को मजबूर होना।
6 चीकट की भागादौड़ी में
आमंत्रितों से न मिल पाना।
7 वरपक्ष ले लोगो की व्यस्तता से 90% बारातों का विलम्ब से मंडप में पंहुंचना ।
8 विवाह वाले परिवार द्वारा अमूमन 20000 से 1लाख तक व्
पुरे कार्यक्रम में कुलः मिलाकर। लाखो रूपये बेवजह खर्च किया जाना
ऐसे अन्य कई अनुभव। इस वर्ष हुए है।
कुछ प्रश्न ?
यदि चीकट प्रथा न हुई तो क्या ।
1 दूल्हा रूठ जायेगा
2 परिवार की प्रतिष्ठा कम हो जायेगी
3 बारात नही जायेगी
4 क्या कोई कम कपड़े पहनकर शामिल होगा
5 विवाह नहीं होगा
???????????????????
ऐसा। कुछ। भी। नही
होगा
जो आज चीकट प्रथा की बुराई के साथ विवाह हो रहे हैं
ठीक। वैसा ही विवाह
बिना चीकट प्रथा के भी होगा ।
बल्कि
वक्त पर। एवं। मितव्ययिता , के साथ व् बिना किसी नाराजगी के साथ होगा।
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यदि। बहुत। जरूरी समझे तो
चीकट के रूप में कपड़े इत्यादि के बजाय नगद राशि
की भेंट बन्द लिफाफे में
एक उपाय हो सक्ता है।जो प्रासंगिक भी व्
उपयोगी भी साबित होगी।
################
समाज में कुछ व्यक्तियों द्वारा एवं। संगठनों द्वारा चीकट को बंद करने के कई प्रयास हुए जो अब तक नाकाफी प्रतीत होते है।
विवाह के इस सीजन में
इस कुप्रथा को आप हम मिलकर बदल सकते है।
जैसे
1 चीकट को या तो बिलकुल न देवे या यथाशक्ति नगद देवें।
2 सम्बंधित परिवार। इसे सहर्ष स्वीकारें।
3 वस्त्र आदि। के रूप ने चीकट को
तत्काल स्वीकार कर सम्मान वापस करें।
4 सभी कोशिश करें की
चीकट न्यूनतम हो जावे।
क्योंकि आज के दौर में
मुझे नहीं लगता कि इसकी आवश्यकता रह गई है।
**********************
यदि कोई इस प्रथा को जरूरी समझता हो तो निश्चित ही,कारणों सहित प्रतिक्रिया देवें
Shyam
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@ लोहा गर्म होने पर ही हथौड़ा चलाना पड़ता है।
तब कहीं औजार बनता है
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समाज में प्रचलित चीकट प्रथा ।
ओर पता न छोर
कब शुरू हुई ,मालूम नहीं ।
क्यों शुरू हुई, मालूम नहीं ।
कब तक चलेगी, मालूम नहीं ।
समाज में सब समझदार
लेकिन , अच्छी या बुरी प्रथा का कोई नहीं कर रहा प्रतिकार ।
आखिर क्यों हम सब निभाते आ रहे है , चीकट प्रथा को ।
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चीकट का वर्तमान स्वरूप
जिस घर में विवाह हो रहा हो उस परिवार के मुखिया को
रिश्तेदारों,दोस्तों, सम्बन्धियों द्वारा वस्त्र, नगद आदि के रूप में कुछ भेंट ।
फिर उस परिवार द्वारा ,सम्बन्धितों/ उपस्थितों को कुछ ऐसी ही सामग्री की वापसी।
कुलः मिलाकर आपसी लेनदेन/ व्यवहार
एक बहाना की किसी के घर खाली हाथ कैसे जायेंगे।।
बस यही एकमात्र कारण है चीकट का।
बेशक विवाह समारोह में शामिल होंना है तो विवाह वाले घर से जुडे खास लोगो को वस्त्र आदि। भेंट ठीक है लेकिन ज्यादातर मौकों पर सभी के लिए कुछ न कुछ भेंट। के कारण
समारोह में कई अव्यवस्थाएं होती है।
जैसे
1 घर के लोगो का 1,2 घण्टे का महत्वपूर्ण। समय चीकट लेन देन में बर्बाद हो जाना ।
2 यथाशक्ति भेंट देने में कभी कभी कामचलाऊ अनुपयोगी भेंट सामग्री मिलना जो कभी उपयोग नहीं हो पाती।
3 भूलवश जिसके द्वारा सामग्री दी गई वही उन्हें वापस हो जाना।
4 अच्छा करने की लाख कोशिश के बावजूद , खास लोगो का नाराज होना।
5 गैरजरूरी होने के बावजूद भी भेंट स्वीकार करने को मजबूर होना।
6 चीकट की भागादौड़ी में
आमंत्रितों से न मिल पाना।
7 वरपक्ष ले लोगो की व्यस्तता से 90% बारातों का विलम्ब से मंडप में पंहुंचना ।
8 विवाह वाले परिवार द्वारा अमूमन 20000 से 1लाख तक व्
पुरे कार्यक्रम में कुलः मिलाकर। लाखो रूपये बेवजह खर्च किया जाना
ऐसे अन्य कई अनुभव। इस वर्ष हुए है।
कुछ प्रश्न ?
यदि चीकट प्रथा न हुई तो क्या ।
1 दूल्हा रूठ जायेगा
2 परिवार की प्रतिष्ठा कम हो जायेगी
3 बारात नही जायेगी
4 क्या कोई कम कपड़े पहनकर शामिल होगा
5 विवाह नहीं होगा
???????????????????
ऐसा। कुछ। भी। नही
होगा
जो आज चीकट प्रथा की बुराई के साथ विवाह हो रहे हैं
ठीक। वैसा ही विवाह
बिना चीकट प्रथा के भी होगा ।
बल्कि
वक्त पर। एवं। मितव्ययिता , के साथ व् बिना किसी नाराजगी के साथ होगा।
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यदि। बहुत। जरूरी समझे तो
चीकट के रूप में कपड़े इत्यादि के बजाय नगद राशि
की भेंट बन्द लिफाफे में
एक उपाय हो सक्ता है।जो प्रासंगिक भी व्
उपयोगी भी साबित होगी।
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समाज में कुछ व्यक्तियों द्वारा एवं। संगठनों द्वारा चीकट को बंद करने के कई प्रयास हुए जो अब तक नाकाफी प्रतीत होते है।
विवाह के इस सीजन में
इस कुप्रथा को आप हम मिलकर बदल सकते है।
जैसे
1 चीकट को या तो बिलकुल न देवे या यथाशक्ति नगद देवें।
2 सम्बंधित परिवार। इसे सहर्ष स्वीकारें।
3 वस्त्र आदि। के रूप ने चीकट को
तत्काल स्वीकार कर सम्मान वापस करें।
4 सभी कोशिश करें की
चीकट न्यूनतम हो जावे।
क्योंकि आज के दौर में
मुझे नहीं लगता कि इसकी आवश्यकता रह गई है।
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यदि कोई इस प्रथा को जरूरी समझता हो तो निश्चित ही,कारणों सहित प्रतिक्रिया देवें
Shyam
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