आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान एवं तकनीक
आत्मनिर्भरता से आश्य है कि किसी भी चीज के लिए किसी दूसरे पर निर्भर ना होना। विकास एक सतत् प्रक्रिया है, और आत्मनिर्भरता विकास पर ही टिकी हुई है इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक ढंग से जब प्रौद्योगिकी का विकास किया जाता है, तब विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज हो जाती है। अगर हमारा भारत साइंस एंड टेक्नोलॉजी के आधार पर आत्मनिर्भर होगा तो हमारे देश को हम इतना विकसित बना सकते हैं कि जिससे हम निर्यात ज्यादा और आयात कम कर सकें। क्योंकि हम अपने देश के घरेलू उत्पादों पर ज्यादा निर्भर होंगे इससे अन्य देशों पर होने वाली किसी भी आपदा से हमारे देश पर प्रभाव भी कम होगा।
साइंस और टेक्नोलॉजी से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन तबकों को भी नई तकनीकों से अवगत कराना होगा जो उनकी पहुंच से बाहर होती है जब वह लोग नई तकनीकों को जानेंगे उनके बारे में समझेंगे तो कुछ अपने हिसाब से भी उन तकनीकों का विकास करेंगे। आत्मनिर्भर भारत मिशन का महत्वपूर्ण उद्देश्य देश के वंचित और कमजोर समुदाय को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें आर्थिक सहयोग के साथ साथ साथ विज्ञान और तकनीकी सहयोग भी प्रदान करना इसके तहत सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों को और अच्छे से उभरा जा सकता है। क्योंकि विज्ञान और तकनीक हर क्षेत्र के लिए बहुत ही आवश्यक है जैसे कि सूक्ष्म लघु और मझोले उद्योगों के अतिरिक्त कृषि तथा इससे जुड़ी गतिविधियों में भी विज्ञान और तकनीक की अहम भूमिका रहती है।
नई तकनीक से किसी भी चीज की गुणवत्ता को ऐसा बनाया जा सकता है कि वह विश्व स्तर पर स्वीकार्य हो। विज्ञान और तकनीक को सिर्फ विज्ञान और तकनीक तक सीमित न रखकर व्यवहारिक जीवन के साथ जोड़ना होगा। हालांकि हमारा भारत देश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी देशों में सातवें स्थान पर है अगर और अच्छे से काम किया जाए तो निसंदेह हमारा भारत पहले स्थान पर भी हो सकता है इसका एक उदाहरण है कि मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी के लिए प्रत्यूष नामक शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर बनाकर भारत क्षेत्र में जापान ब्रिटेन और अमेरिका के बाद चौथा प्रमुख देश बन गया है। नैनो तकनीक पर शोध के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
विज्ञान और तकनीक से से ही संभव हुआ है शुन्य से लेकर असीमित ता, निर्वस्त्र से लेकर फैशन, भूख से लेकर अनेकों पकवान, पैदल से लेकर हवाई उड़ान, धरती से आसमान तक का सफर, विज्ञान और तकनीक से ही संभव हुआ है धरती से धरती तक का सफर और विज्ञान और तकनीक से ही संभव हुआ है धरती से पानी तक का सफर। अनेक तरह के संसाधनों का बनाया जाना जो हमारे दैनिक जीवन के लिए बहुत उपयोगी है और हमारे हर कार्य को आसानी से और तेजी से कर सकती है यह भी विज्ञान और तकनीक से ही संभव हुआ है। तकनीक के क्षेत्र में अगर बात करें तो वायु प्रदूषण के रोक के लिए ई रिक्शा इलेक्ट्रिक साधन का आविष्कार किया गया है जल संरक्षण की बात करें तो वाटर प्यूरीफिकेशन के बहुत सारे साधन बनाए गए हैं इसके अलावा अनेकों ऐसे चीजों का आविष्कार किया गया है जो हमारे सुख सुविधाओं के लिए है और यह हमारे कार्यों को आसान बनाती है। हम घर बैठे बहुत दूर तक बात कर सकते हम घर बैठे बहुत दूर तक पैसे भेज सकते हैं यह सब संभव हुआ है तो सिर्फ तकनीक और विज्ञान के कारण ही यह सब बड़े स्तर की बातें हैं लेकिन अगर हम बड़े स्तर को छोड़ो छोड़कर बिल्कुल निचले स्तर से बात करें तो तकनीक के आधार पर हर सिस्टम को ट्रांसपेरेंट करना जिससे किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सकती है और हर क्षेत्र में हर कार्य गुणवत्ता के आधार पर किया जा सकता है वह चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, कानून हो कोई भी विषय क्यों ना हो। अगर ऐसा होता तो लोगों की मानसिकता में बदलाव आएगा और वह कुछ भी गलत करने से कतराएंगे क्योंकि तकनीक के जरिए हर चीज को क्लियर करना बिल्कुल आसान होगा। अगर कोई धोखाधड़ी करने की कोशिश भी करेगा तो पकड़ा जाएगा। जब लोगों की मानसिकता में बदलाव आएगा तो अनेक तरह के गलत कार्य, बेईमानी, स्वार्थ पूर्ति, फिजूल खर्ची जैसे कुकृत्यों में कमी आएगी, देश में शांति स्थापित भी होगी। विज्ञान में विश्वास करने पर हम अनेक पाखंड और भ्रांतियों से दूर रहेंगे यह भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने में एक अहम योगदान होगा। तकनीक के जरिए पारदर्शिता आने के बाद जमाखोरी पर भी पाबंदी लगेगी जिससे हर दिन लाखों-करोड़ों का धन काला धन होने से बच जाएगा। ऐसा होने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो भुखमरी, गरीबी, बेरोजगारी जैसी चीजें कम होगी और शिक्षा स्वास्थ्य पर अच्छे से बल दिया जा सकेगा जिससे एक मजबूत भविष्य का निर्माण होगा। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो हमारे देश में विज्ञान और तकनीक को और बढ़ावा मिल सकता है क्योंकि वैज्ञानिकों के लिए संसाधन जुटाए जा सकेंगे। भारतीय मूल के बहुत सारे वैज्ञानिक अच्छे संसाधन ना मिल पाने के कारण बाहर के देशों में जाकर कार्य करते हैं अगर उनको अपने ही देश में सब सुविधाएं मिलेंगी तो निसंदेह वह अपने देश वापस लौट आएंगे और अपने ही देश के लिए कार्य करेंगे जब वह अपने देश वापस लौट आएंगे तो हमारे देश में निसंदेह और नई तकनीकों का विकास होगा और दूसरे देश हमसे तकनीकी लेंगे, वहां से भी हमारे देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी जब देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी तो लघु एवं कुटीर उद्योग जो के उद्यमियों को वित्तीय सहायता और नई तकनीकी सहायता दी जा सकेगी। लघु और कुटीर उद्योगों से लोगों के लिए अपने ही लोकल एरिया में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और उनको दूसरे शहरों में या दूसरी जगहों पर पलायन नहीं करना पड़ेगा।
हमें नई तकनीक की सहायता से बहुत सारी ऐसे चीजों पर वापस आना पड़ेगा जो हमारे देश में पहले इस्तेमाल हुआ करती थी और जो धीरे-धीरे लुप्त हो गई है। उदाहरण के तौर पर मिट्टी के बर्तन कपड़े और जूट से बने थैले कागज से बनी हुई वस्तुएं आदि पहले के समय में जब इन चीजों का इस्तेमाल किया जाता था तो पर्यावरण इनका कोई नुकसान नहीं होता था लेकिन इनकी जगह पॉलिथीन प्लास्टिक ने ले ली है जो हमारे साथ जो पर्यावरण के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत हानिकारक है। अब नई तकनीक की सहायता से उन चीजों को वापस से लाया जा सकता है जिससे हमारे पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव ना हो। यह भी हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने का एक अच्छा कदम होगा क्योंकि जब देश के पर्यावरण पर अनुकूल प्रभाव होगा, देश साफ और स्वच्छ होगा तो लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।
विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा देनी होगी उन्हें सिर्फ किताबों तक सीमित न रखकर तकनीकी क्षेत्र में प्रैक्टिकल नॉलेज देनी होगी जिससे वो दिखावे की चकाचौंध से बाहर निकल, हकीकत में कुछ करने की सोचे, औरों उनके द्वारा बनाए गए वैज्ञानिक नियम, सिद्धांतों को पढ़ने और अपनाने के साथ-साथ अपने आप कुछ नया जनरेट करने की सोचे। विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयास कर रही है फिर भी इस दिशा में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है सबसे पहले तो विज्ञान एवं तकनीकी के शोध कार्यों में भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर राष्ट्रीय सुविधाओं का निर्माण करना बहुत जरूरी है। प्रतिभाशाली छात्रों के लिए विज्ञान शोध एवं नवाचार में सुविधाएं उपलब्ध करवाना आवश्यकता है। वैज्ञानिक अनुसंधान विश्वविद्यालयों में धन की उपलब्धता में कमी होने के चलते युवा वर्ग की दिलचस्पी वैज्ञानिक शोध में कम हो गई है उस पर बल देना होगा। हमारे देश में आईडिया जनरेट करने वाले लोगों की कमी नहीं है। यदि भारतीयों को उचित मार्गदर्शन और सही दिशा प्राप्त हो,तो भारत को परम वैभव के शिखर तक जाने से दुनिया की कोई शक्ति नही रोक सकती।प्राचीन काल की बात करें तो खगोल विज्ञान, गणित में अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति, चिकित्सा में चरक संहिता सुश्रुत संहिता, पशु चिकित्सा, भौतिकी, विज्ञान रसायन, विज्ञान धातु विज्ञान, रत्न विज्ञान, इसके अलावा विविध निर्माणों में भारत आगे रहा है। क्या संभव नहीं है तकनीक और विज्ञान के जरिए कुछ भी तो नहीं। विज्ञान और तकनीक से से ही संभव हुआ है कि धरती से आसमान तक का सफर विज्ञान और तकनीक से ही संभव हुआ है धरती से धरती तक का सफर और विज्ञान और तकनीक से ही संभव हुआ है धरती से पानी तक का सफर अनेक तरह के संसाधनों का बनाया जाना जो हमारे दैनिक जीवन के लिए बहुत उपयोगी है और हमारे हर कार्य को आसानी से और तेजी से कर सकती है यह भी विज्ञान और तकनीक से ही संभव हुआ है।
सीमित संसाधनों से एक नई चीज का निर्माण कर लेना ही तकनीक है और अगर देश में विज्ञान और तकनीक का विकास होगा तो देश आर्थिक तौर पर विकसित होगा और जब देश आर्थिक तौर पर विकसित होगा तो निसंदेह देश आत्म निर्भर होगा। इसलिए हम बोल सकते हैं कि विज्ञान और तकनीक का छोटे से स्तर से लेकर बड़े से बड़े स्तर तक भारत देश के विकास में भारत देश को आत्मनिर्भर बनाने में एक अहम योगदान रहेगा।
सीमा, हिसार हरियाणा
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