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मतदाता होते है लोकतंत्र की मजबूत कड़ी, देश विकास में सही नेता का चुनाव में होनी चाहिए अहम भूमिका; तभी देश करेगा सर्वांगीण विकास

मतदाता होते है लोकतंत्र की मजबूत कड़ी, देश विकास में सही नेता का चुनाव में होनी चाहिए अहम भूमिका; तभी देश करेगा सर्वांगीण विकास

आलेख- मतदाताओं के हाथों में होता है उन्नति का भविष्य निर्माण, वोट के अधिकार से बनता मजबूत लोकतंत्र

इतिहास के पन्ने पलटने में दबा एक ऐसी घटना से सीख लेने की आवश्यकता है जिसने वास्तव में किसी देश का राजा यानि मुखिया कैसा होना चाहिए? जनता के प्रति क्या सोच एवं व्यवहार होना चाहिए की सोच को बारीकी से बताया गया है । किसी भी देश प्रान्त या एक छोटे से गाँव का मुखिया ही क्यों न हो उसे जनता के प्रति समान भाव से समर्पित एवं पालनकर्ता के रूप में होना चाहिए, जनता भी अपने नेता, अपने मुखिया से इसी आश में सेवारत रहती है । किवदंती अनुसार चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि नंद वंश के राजा महानंद से नाराज चाणक्य ऐसे शख्स की खोज में थे जो नंद राजा का नाश कर सके। पाटलीपुत्र की गलियों में उन्हें एक सात-आठ साल का बालक खेलता मिला। नाम था चंद्रगुप्त। एक बड़ी सिंहासननुमा कुर्सी पर वह राजा की तरह बैठा था और अपने उम्र के बच्चों के साथ भ्रष्ट व अन्यायपूर्ण आचरणों के बारे में ऊंची आवाज में नसीहतें दे रहा था। इस बच्चे के चेहरे पर तेज और आवाज में बुद्धिमता,तर्कपूर्ण बाते व ईमानदारी देखकर चाणक्य को समझते देर नहीं लगी कि नेतृत्व के गुणों से संपन्न यही बालक वह राजा है जिसे वह खोज रहे हैं। वह उसे अपने साथ अपने आश्रम तक्षशिला ले आए और सात-आठ साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद वह बालक मौर्य वंश का शासक चंद्रगुप्त मौर्य बना। ढाई हजार साल पहले चाणक्य के जमाने में लोकतंत्र नहीं था। लाजिमी था कि वह ऐसा शख्स चुनें जिसमें नेतृत्व के जन्मजात गुण हों और जिसे प्रशिक्षण देकर राजा के कर्तव्यों के लिए तैयार किया जा सके।

मतदाताओं के हाथों में होता है लोकतंत्र

आज हमारे देश में लोकतंत्र है; हम अपना शासक एवं चुनते है । इस लिहाज से आज वोट डालने वाला हर नागरिक चाणक्य है। दूसरे शब्दों में, लोकतंत्र में नागरिकों के कंधों पर यह जिम्मेदारी है कि वे चाणक्य की तरह योग्य और होनहार व्यक्ति को सरकार की जिम्मेदारी संभालने के लिए चुनें। आज देश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का आगाज हो गया है । हर गाँव शहर में ग्रामीण स्तर से लगाकर जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के मुखिया को चुनने का समीकरण बना रहें है । हर वोटर चाहता है कि हमारा चुना हुआ नेता हमारे घर के मुखिया के सामान हो जो परिवार रूपी आम जनता का सही पोषण कर सके; सभी की तरक्की के समान अवशर की खोज कर सके । गाँव का नेता या मुखिया जिसे सरपंच गाँव का बड़ा जिम्मेदार एवं सरकार द्वारा प्रदत शक्तियों से पूर्ण होता है । गाँव को उन्नती के शिखर तक पहुँचाने में सरपंच की एक बड़ी भूमिका होती है । सरपंच के हाथों में गाँव का चहुमुखी विकास करने के सभी साधन दिए जाते है; और आशा की जाती है कि गाँव का व्यक्ति यदि गाँव के विकास में मुखिया के रूप में सामने आयेगा तो ग्राम का वास्तविक विकास की परिकल्पना की जा सकती है ।


सरपंच के कन्धों में होता है चहुमुखी विकास का भार -

सरपंच को एक सम्मानीय एवं जिम्मेदारी का पद की भांति समझा जाता है, निःसंदेह यह होना भी चाहिए क्योकि सरपंच के कन्धों पर गाँव विकास एवं उसकी उन्नति की तस्वीर देखी जाती है; सरकार सरपंच के हाथ में एक गाँव के मुखिया होने के नाते गाँव के विकास के लिए सरकारी शक्ति रुपी जादू की छड़ी दे देती है जिसकी मदद से वह अपने गाँव का चहुमुखी विकास कर सके । यह जिम्मेदारी में ग्राम के पंच की भी उतनी ही भूमिका होती है जितनी सरपंच की । पंच ग्राम सभा के जिम्मेदार व्यक्ति होते है जो हर विकासात्मक कार्यों की समीक्षा एवं अपनी राय प्रदान करते है । ग्राम विकास में ग्रामीण हर वार्ड से अपने नेता के रूप में वार्ड सदस्यों का चुनाव करते है । इनको अपने नेता के रूप में चुनने का सीधा आशा होती है कि ग्राम सभा में वार्ड सदस्य वार्ड की हर छोटी से बड़ी समस्या को लेकर जाए एवं प्राथमिकता के आधार पर तुरंत निपटान करवा सके । जनता के द्वारा चुने गए नेता को जनता के विषय में उनकी भलाई के बारे तात्पर्यंता से काम करना चाहिए ऐसा नेता लम्बे समय तक जनता के बीच अपना अस्तित्व बनाये रखता है; और जो केवल अपना स्वार्थ देखता है भले ही वह कुछ समय के लिए ऊपर आ जाए लेकिन उसे अर्स से फर्स तक आने में देर नहीं लगती ।

मुखिया चुनने से पहले जरूर सोचे -

किसी भी व्यक्ति को मुखिया के रूप में चुनने से पहले हमें जरूर सोचना चाहिए कि हम जो नेता चुन रहे है क्या यह हमारा, आम जनता का हितौसी है , वह सभी को एक रूपता से विकासात्मक लाभ दिलाने में सक्षम है ? वोट देने से पहले हमें एक बार गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है कि क्या हमारे द्वारा चुने जाने वाले व्यक्ति में जो गुण एक मुखिया होने के होना चाहिए क्या वह गुण है या हमने एक ऐसे व्यक्ति को मुखिया चुन लिया जो स्वयं किसी काम का निर्णय न करके चापलूसों और स्वार्थियों का कठपुलती है । यदि वह विवेक हीन है तो आपके विकास के बारे में क्या सोचेगा, ऐसा मुखिया अपने साथ-साथ आम जनता के विकास में भी बाधक होगा । अपने वोट देने से पहले एक बार अवश्य सोचे कि आपका नेता में ये गुण है जो एक सही नेतृत्वकर्ता के पास होना चाहिए – वह शिक्षित है, क्योकि शिक्षित व्यक्ति अपनी शिक्षा रुपी शक्ति से तार्किक, बौद्धिक, निर्णयात्मक, एवं विवेक पूर्ण निर्णय लेने में आपने आपको ओरो से बेहतर सिद्ध करेगा । वह किसी भी पेचीदा मुद्दा को अपने तर्क और विवेक से समाधानात्मक नतीजे तक पहुँच सकता है । वह मानसिक और शारीरिक रूप में इस बड़ी जिम्मेदारी को लेने के लिए परिपक्य है ? ग्राम पंचायत के बजट को आम जनता के बीच रखकर आम जनता के हित में कार्य करवाएगा । ग्राम पंचायत के युवाओं को रोजगार दिलवाने की मजबूत पेरवी करने ने सक्षम है; क्या सरकार द्वारा विकास कार्यों के लिए दिये जाने वाले बजट को सही एवं उपयोगिता के आधार पर पात्र हितग्राहियों तक पहुँचाने में सक्षम है आदि बातो का ध्यान देने की आवश्यता है ।

अपने वोट को बेचने से बचे – चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उम्मीदवार लोगो के वोट को खरीदने से पीछे नहीं हटते । उनका मानना है कि एक बार पांच सौ- हजार दे दिए और जीत हासिल कर लिए इसके बाद तो मौज ही मौज । आम जनता को लगता है कि घर बैठे लक्ष्मी आ रही है तो मना नहीं करना चाहिए । इस बात का फायदा उठाकर लोग उनकी वोट खरीद लेते है और सत्ता पर आसीन हो जाते है इसके बाद उनका काम आपके लिए वह उदासीन हो जाता है आपके काम उसकी मर्जी पर चलेगा; आप उसको काम करने के लिए कह से नहीं बोल पाएंगे क्योकि आपने उसके वोट नहीं दिया वो वोट तो उसने ख़रीदा है, इस प्रकार अपने आप को अपने वोट को बिकने से बचाए । सही एवं योग्य व्यक्ति को ही चुने वो भी बीमा किसी प्रलोभन में ।

गाँव की राजनीति में अपने आपसी सम्बन्ध ख़राब न करें –

चुनाव एक ऐसा मुद्दा है कि राजनीती से जुड़े लोग अपने पार्टी या उम्मीदवार को जितने के लिए एडी-छोटी का बल लगा देते है । वह ग्राम में अपनी राजनितिक पहुच का फायदा उठाकर लोगो को आपस में भिडाकर अपना फायदा उठाने से नहीं चूकते है । ग्राम पंचायत चुनाव में यह माहौल देखा जा सकता है । ध्यान रहे सभी एक ग्राम में रहने वाले है यंही रहकर आपस में सामंजस बनाकर ग्राम विकास में सहयोगी बनना है । ऐसे में किसी की राजनीती का सीकर न बने, आपसी मतभेद को त्यागकर ग्राम के चहुमुखी विकास में सहयोगी बने ।

(यह लेखक के व्यक्तिगत विचार है)

 

लेखक: श्याम कुमार कोलारे, सामाजिक कार्यकर्त्ता, छिन्दवाड़ा (मध्यप्रदेश) मोबाइल 9893573770/shyamkolare@gmail.com 

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