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किसान सलाह : सर्दी में पशुधन एवं फसलों को बचाने के उपाय l Measures to save livestock and crops in winter

किसान सलाह : सर्दी में पशुधन एवं फसलों को बचाने के उपाय l Measures to save livestock and crops in winter

किसान सलाह :

इस समय जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. ठंड के कारण आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है!  हर कोई इस कड़ाके की ठंड से  प्रभावित है. ऐसे में पालतू पशुओं खासकर दुधारू पशुओं- भैंस, गाय, बकरी ,मुर्गी आदि को भी इस ठंड के प्रकोप से प्रभावित हो रहे है.  पशुपालक सावधानी बरतते हुए कुछ बातों का ध्यान रखें तो अपने पशुओं का इस ठंड से बचाव करते हुए उनसे अच्छा उत्पादन ले सकते हैं l 

1. पशुओं के बांधने वाली जगह पशुशाला के खिड़की दरवाजे तथा खुले भाग को टाट के बोरों या घास फूस की टटिया बनाकर बंद रखें. जिनको दिन के समय धूप निकलने पर कुछ समय के लिए खोल दें जिससे धूप अंदर जा सके l 

2. गाय, भैंस, बकरी आदि जानवरों को दिन के समय बाहर तभी निकाले जब धूप निकल आएl 

3. धूप न निकलले तथा ठंडी हवा चलने की अवस्था में पशुओं को दिन में भी पशुशाला के अंदर ही रखेंl

4. धूप निकलने पर पशुओं को बाहर खुले में बांधने तथा कुछ देर के लिए उन्हें खुला छोड़ दें जिससे वह व्यायाम कर सके और उनके शरीर में ऊर्जा का संचार हो सकेl

5. पशुओं को नियमित तौर पर संतुलित आहार खाने को दें l

6. पशु आहार में नमक और खनिज लवण मिश्रण  का समावेश जरूरी करेंl

7. सभी छोटे बड़े पशुओं को पेट के कीड़ों की दवा उन्हें उनके शरीर भार  के अनुसार खिलाएंl

8. बरसीम आदि हरा चारा ताजी न खिलाकर एक दिन उसे फैला कर छोड़ दें तथा अगले दिन उसे खाने को देंl  इससे हरे चारे में पानी की कुछ मात्रा कम हो सकेगी तथा पशुओं को सर्दी का प्रकोप कम होगाl

9. अत्यधिक ठंड की अवस्था में भैंस को 250 से 300 ग्राम गुड और 200 ग्राम मेथी दाना अवश्य खिलाएंl

10. भेड़ और बकरी को 50 से 80 ग्राम गुड़ और 50 ग्राम मेथी दाना खाने को देंl

11. अत्यधिक ठंड की अवस्था में बकरियों को 5 से 6 लहसुन की कली भी खिला सकते हैं. इससे ठंड से बचाव होता हैl

13. रात के समय पशुओं के बाड़े में कुछ समय के लिए आग जलाकर उन्हें तपाने का प्रबंध अवश्य करेंl

14. दिन में कम से कम 3 बार उन्हें ताजी और स्वच्छ पानी अवश्य पिलायेंl

15. पशुशाला को पूरी तरह से साफ स्वच्छ और सूखा रखेंl

16. सप्ताह में कम से कम एक बार पशुशाला में फिनायल का घोल या चूना का छिड़काव करते रहेंl

17. पशुओं को चारा खिलाने वाली नादो कि नियमित सफाई करेंl

18. पशुशाला में पशुओं के नीचे बिछावन के रूप में धान की पुआल या बाजरा की कर्वी आदि का प्रयोग करेंl इसे नियमित अंतराल पर बदलते भी रहेंl

19. पशुओं के शरीर पर कुछ दिन के अंतराल पर खुरेरा करते रहेंl

20. अगर कोई स्वास्थ्य समस्या दिखाई देती है तो तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श लेंl


पाले से फसलों को बचाने के उपाय:

पाला पडऩे की संभावना होने पर किसान भाइयों रात्रि 10 बजे से पहले दिन में सिंचाई अवश्य करें। फसलों में सिंचाई रात्रि के दूसरे तथा तीसरे पहर में नहीं करें।

पाला की आशंका होने पर फसलों तथा उद्यान की फसलों में घुलनशील गंधक 80  प्रतिशत डब्ल्यू पी का दो से ढाईअक्षर ग्राम मात्रा को प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बना कर डेढ़ से दो सौ लीटर पानी में घोलकर फसलों के ऊपर प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें। इससे दो से ढाई डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान बढऩे से काफी हद तक पाला से बचाया जा सकता है।

बारानी फसलों में पाले की आशंका होने पर व्यावसायिक गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत के घोल का अर्थात् 1 मिलीलीटर दवा को प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसलों के ऊपर छिडक़ाव करें परंतु ध्यान रखें की इसकी संतुलित और निश्चित मात्रा का ही प्रयोग करें अन्यथा फसलों को नुकसान हो सकताहै है। इसी प्रकार इसके स्थान पर थायो यूरिया का 0.5 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल की दर से छिडक़ाव करने से भी पाला से काफी हद तक फसलों को बचाया जा सकता है। प्रत्येक अवस्था में पानी की मात्रा प्रति एकड़ डेढ़ से दो सौ लीटर अवश्य रखें।

पाला से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। इसलिए रात्रि के समय नर्सरी में लगे पौधों को प्लास्टिक की चादर से ढक करके बचाया जा सकता है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है जिसके कारण तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंचता है और पौधे पाला से बच जाते हैं। लेकिन यह तकनीकी कम क्षेत्र के लिए उपयोगी है। जिन किसान भाइयों ने 1 से 2 वर्ष के फलदार पौधों का अपने खेतों में वृक्षारोपण किया हो उन्हें बचाने के लिए पुआल, घास-फूस आदि से अथवा प्लास्टिक की सहायता से ढककर बचायें। प्लास्टिक की सहायता से क्लोच अथवा टाटिया बनाकर पौधों को ढक देने से भी पाला से रक्षा होती है। इसके अलावा थालों के चारों ओर मल्चिंग करके सिंचाई करते रहें।

दिसंबर से फरवरी माह तक अधिक ठंड पडऩे के कारण पशु तथा बछड़ों आदि को भी रात्रि के समय घरों के अंदर बांधें तथा उन्हें बोरे तथा जूट के बोरे तथा टाट-पट्टी से ओढ़ाकर ठंठ से बचायें। इसी प्रकार मुर्गी तथा बकरी घर को भी चारों तरफ से पॉलीथिन की सीट या टाट-पट्टी आदि से बांधकर ठंडी हवाओं से चारों तरफ से बचायें।

छोटे किसान भाई जहां पर खेतों का क्षेत्रफल कम हो वहाँ मध्यरात्रि के बाद मेड़ों के ऊपर उत्तर तथा पश्चिम की तरफ घास-फूस आदि में थोड़ा नमी बनाकर जलाकर धुआ करें हालांकि यह प्रक्रिया पर्यावरणीय दृष्टि से उचित नहीं है पर इससे भी पाला से बचाव में सहायता मिलती है।

ज्यादा ठंड तथा पाला पडऩे पर मनुष्यों एवं बच्चों को भी सलाह दी जाती है कि वह रात्रि के तीसरे और चौथे पहर में खेतों की मेड़ों पर या यहाँ-वहाँ न घूमें। तथा गर्म कपड़े आदि पहन कर घर में ही रहें एवं सूर्योदय के बाद ही घर से निकलने की सलाह दी जाती है।


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